लोकमान्य तिलक के बारे में सबकुछ एक जगह 🔴
✅ लोकमान्य तिलक का जन्म 23 जुलाई, 1856 को महाराष्ट्र के रत्नागिरी में हुआ था।
✅ य पेशे से वकील थे, इन्हें लोकमान्य तिलक के रूप में भी जाना जाता हैं।
✅ भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के समय इन्होंने ‘स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर रहूँगा’ का नारा दिया।
✅ इनकी मृत्यु 1 अगस्त, 1920 को हुई।
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में इनका
❇️ योगदान:
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लोकमान्य तिलक पूर्ण स्वतंत्रता या स्वराज्य (स्व-शासन) के सबसे प्रारंभिक एवं सबसे मुखर प्रस्तावकों में से एक है।
✅लाला लाजपत राय तथा बिपिन चंद्र पाल के साथ ये लाल-बाल-पाल की तिकड़ी (गरम दल/उग्रपंथी दल) का हिस्सा थे।
✅एक अंग्रेज़ी पत्रकार वेलेंटाइन चिरोल द्वारा लिखित पुस्तक ‘इंडियन अनरेस्ट’ में तिलक को ‘भारतीय अशांति का जनक’ कहा गया है।
✅लोकमान्य तिलक, वर्ष 1890 में भारतीय राष्ट्रीय कॉन्ग्रेस (Indian National Congress-INC) में शामिल हुए।
✅इन्होंने स्वदेशी आंदोलन का प्रचार किया तथा लोगों को विदेशी वस्तुओं के बहिष्कार के लिये प्रोत्साहित किया।
✅तिलक ने अप्रैल 1916 में बेलगाम में अखिल भारतीय होम रूल लीग (All India Home Rule League) की स्थापना की।
✅इसका कार्य क्षेत्र महाराष्ट्र (बॉम्बे को छोड़कर), मध्य प्रांत, कर्नाटक और बरार था।
✅राष्ट्रवादी संघर्ष में हिंदु-मुस्लिम एकता के लिये भारतीय राष्ट्रीय कॉन्ग्रेस के प्रतिनिधित्व के तौर पर तिलक तथा अखिल भारतीय मुस्लिम लीग की तरफ से मोहम्मद अली जिन्ना ने लखनऊ पैक्ट (Lucknow Pact, 1916) पर हस्ताक्षर किये।
✅इन्होंने मराठी भाषा में केसरी तथा अंग्रेज़ी भाषा में मराठा नामक समाचार पत्रों का प्रकाशन किया तथा वेदों पर ‘गीता रहस्य’ और ‘आर्कटिक होम’ नामक पुस्तकें लिखीं।
🔴सामाजिक योगदान
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🔶तिलक डेक्कन एजुकेशन सोसाइटी के संस्थापक (1884) थे, इसके संस्थापक सदस्यों में गोपाल गणेश अगरकर और अन्य भी शामिल थे।
🔷महाराष्ट्र में गणेश चतुर्थी त्योहार को लोकप्रिय बनाया।
🔶सम्राट छत्रपति शिवाजी की जयंती पर शिव जयंती मनाने का प्रस्ताव रखा।
🔷हिंदू धर्म के लोगों को अत्याचार से लड़ने के लिये हिंदू धर्मग्रंथों के इस्तेमाल पर बल दिया।